22 दिन की बस यात्रा - भाग 5
यात्रा संस्मरण - भाग 5 जबलपुर से जा के अगला स्थान था खजुराहो, जहां हमने अपनी नाबालिग आयु के कारण सीमित स्थान ही देखे। क्यों की एक मंदिर दिखाने के बाद पिता श्री ने मुझे और मेरे भाई को बस में जा के बैठने के लिए का दिया। काफी तारीफ कर रहे थे लोग वहां की। इसके बाद हम बढ़े वापसी आगरा की और पर देर सांझ होने के कारण चंबल नदी पर नाव चलना बंद हो चुकी थी। पहले बताना भूल गया कि उन दिनों चंबल पर केवल रेल का ही पुल था या पुल था तो टूटा हुआ था, अच्छी तरह से याद नहीं बसे, ट्रक, कारे आदि नाव से ही नदी पार करते थे। उन दिनों डाकुओं के आतंक से वहां शाम के बाद लोग बाहर नहीं निकलते थे। लोकल पुलिस की सलाह से हम 25-30 कि.मी. वापिस मुरैना चले गए और वहां एक स्कूल की इमारत में विश्राम किया। लोग रात भर पहरा ही दे रहे थे। अगले दिन सुबह सुबह वहां से रवाना हो कर दोपहर तक दिल्ली पहुंच गए और सकुशल वापसी की। आप विश्वास नहीं करेंगे कि इस यात्रा में प्रत्येक यात्री टिकट मात्र 500 रूपए थी जिसमे यात्रा और रहने का खर्चा भी शामिल था | हाला कि जगह की तंगी भी रही और कई बार काफी तकलीफे भी आयी, पर कुल मिला